Motivational Story

We Make Our Own Luck

1)
एक बार एक अध्यापक कक्षा में सभी छात्रों को समझा रहे थे कि इंसान का भाग्य स्वयं इंसान के हाथ में होता है आप जैसे विचार रखोगे या जैसे कर्म करोगे आप वैसे ही बन जाओगे| ये जो प्रकर्ति है ये सभी को समान अवसर देती हैं लेकिन ये आप पर निर्भर है की आप अपने अवसर को कैसे इस्तेमाल करते हैं|

उदाहरण के लिए अध्यापक ने तीन कटोरे लिए और एक में आलू, दूसरे में अंडा और तीसरे में चाय की पत्ती डाल दी| अब तीनों कटोरों में पानी डालकर उनको गैस पर उबलने के लिए रख दिया| छात्र ये सब आश्चर्यपूर्वक देख रहे थे लेकिन उनकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था| बीस मिनट बाद जब तीनों बर्तन में उबाल आने लगा तो अध्यापक ने सभी कटोरों को नीचे उतरा और आलू, अंडा और चाय को बाहर निकाला| अब सभी छात्रों से तीनों को गौर से देखने के लिए कहा गया| लेकिन कोई भी छात्र मज़ारे को समझ नहीं पा रहा था|
अंत में गुरु जी ने एक बच्चे से तीनों(आलू, अंडा और चाय) को स्पर्श करने के लिए बोला| जब छात्र ने आलू को हाथ लगाया तो पाया कि जो आलू पहले काफ़ी कठोर था लेकिन पानी में उबलने के बाद काफ़ी मुलायम हो गया है| अब अंडे को उठाया तो देखा जो अंडा पहले बहुत नाज़ुक था अब कठोर हो गया है| अब चाय के कप को उठाया तो देखा चाय की पत्ती ने गर्म पानी के साथ मिलकर अपना रूप बदल लिया था और अब वह चाय बन चुकी थी|

गुरु जी ने समझाया, हमने तीन अलग अलग चीज़ों को समान विपत्ति से गुज़रा अर्थात तीनों को समान रूप से पानी में उबाला लेकिन बाहर आने पर तीनों चीज़ें एक जैसी नहीं मिली| आलू जो कठोर था वो मुलायम हो गया, अंडा पहले से कठोर हो गया और चाय की पत्ती ने भी अपना रूप बदल लिया उसी तरह यही बात इंसानों पर भी लागू होती है| एक इंसान विपत्ति में अपना धैर्य खो देता है और वहीं दूसरा बुद्धिमान इंसान विपत्ति का सामना कटे हुए अपने लक्ष्य को साकार करता है|

तो मित्रों, भगवान सभी को समान अवसर और विपत्ति प्रदान करते हैं लेकिन ये पूरी तरह आप पर निर्भर है की आप कैसा बनाना चाहते हैं और किस तरह आप अपने जीवन को ढालते हैं|

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2) बहुत पुरानी बात है की किसी राज्य में एक राजा हुआ करता था| राजा ने एक बार अपने राज्य के लोगों की परीक्षा लेनी चाही| एक दिन उसने क्या किया कि सुबह सुबह जाकर रास्ते में एक बड़ा सा पत्थर रखवा दिया| अब तो सड़क से जो कोई भी निकलता उसे बड़ी परेशानी हो रही थी लेकिन कोई भी पत्थर हटाने की कोशिश नहीं कर रहा था |

राजा यह सब छुपकर देख रहा था, कुछ देर बाद उसके राज्य के मंत्री और अन्य बड़े बड़े और धनी लोग भी वहाँ आए लेकिन किसी ने भी पत्थर हटाने की कोशिश नहीं की बल्कि सभी राजा को ही गालियाँ दे रहे थे कि रास्ते में इतना बड़ा पत्थर पड़ा है और राजा इसे हटवा क्यूँ नहीं रहा है| 

कुछ देर बाद वहाँ एक ग़रीब किसान आया जिसके सर पे बड़ा सा सब्जी का गट्ठर रखा हुआ था जब वह पत्थर से गुज़रा तो उसे वजन की वजह से काफ़ी परेशानी हो रही थी| तो उसने अपने सर से सब्जी की गठरी उतारी और पत्थर को पूरी ताक़त से हटाने में जुट गया| वो पत्थर बहुत बड़ा था लेकिन किसान ने हार नहीं मानी और कुछ ही देर में रास्ते से पत्थर हटा दिया| जैसे ही वो वहाँ से चला उसने देखा की पत्थर वाली जगह पर एक थैला पड़ा हुआ था जोकि राजा ने पत्थर के नीचे छुपा दिया था| किसान ने थैला खोला तो देखा उसमें सोने के 1000 सिक्के थे और एक पत्र था जिसमें लिखा था-“पत्थर हटाने वाले को राजा की ओर से इनाम अब तो किसान फूला नहीं समा रहा था|



तो मित्रों इसी तरह से जीवन में आने वाली हर परेशानी भी एक अच्छा अवसर लेकर आती है जो लोग नकारात्मक सोचते हैं वो इसे समझ नहीं पाते और अवसर खो देते हैं वहीं अच्छी सोच के व्यक्ति चुनौती स्वीकार करते हैं और अवसर का लाभ उठाते हैं|
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bhagwan-bachayege-200x150Bhagwan Bachayege 
भगवान बचाएगा !
ईश्वर हमें कई अवसर देता है , इन अवसरों की प्रकृति कुछ ऐसी होती है कि वे किसी की प्रतीक्षा नहीं करते है , 








(3) एक समय की बात है किसी गाँव में एक साधु रहता था, वह भगवान का बहुत बड़ा भक्त था और निरंतर एक पेड़ के नीचे बैठ कर तपस्या किया करता था | उसका भागवान पर अटूट विश्वास था और गाँव वाले भी उसकी इज्ज़त करते थे|

एक बार गाँव में बहुत भीषण बाढ़ आ गई | चारो तरफ पानी ही पानी दिखाई देने लगा, सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए ऊँचे स्थानों की तरफ बढ़ने लगे | जब लोगों ने देखा कि साधु महाराज अभी भी पेड़ के नीचे बैठे भगवान का नाम जप रहे हैं तो उन्हें यह जगह छोड़ने की सलाह दी|

पर साधु ने कहा – तुम लोग अपनी जान बचाओ मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा!

धीरे-धीरे पानी का स्तर बढ़ता गया , और पानी साधु के कमर तक आ पहुंचा , इतने में वहां से एक नाव गुजरी| मल्लाह ने कहा – हे साधू महाराज आप इस नाव पर सवार हो जाइए मैं आपको सुरक्षित स्थान तक पहुंचा दूंगा |”

“नहीं, मुझे तुम्हारी मदद की आवश्यकता नहीं है , मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा !! “, साधु ने उत्तर दिया.

नाव वाला चुप-चाप वहां से चला गया.

कुछ देर बाद बाढ़ और प्रचंड हो गयी , साधु ने पेड़ पर चढ़ना उचित समझा और वहां बैठ कर ईश्वर को याद करने लगा | तभी अचानक उन्हें गड़गडाहत की आवाज़ सुनाई दी, एक हेलिकोप्टर उनकी मदद के लिए आ पहुंचा, बचाव दल ने एक रस्सी लटकाई और साधु को उसे जोर से पकड़ने का आग्रह किया|

पर साधु फिर बोला – मैं इसे नहीं पकडूँगा, मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा |

उनकी हठ के आगे बचाव दल भी उन्हें लिए बगैर वहां से चला गया | कुछ ही देर में पेड़ बाढ़ की धारा में बह गया और साधु की मृत्यु हो गयी |

मरने के बाद साधु महाराज स्वर्ग पहुचे और भगवान से बोले -. हे प्रभु मैंने तुम्हारी पूरी लगन के साथ आराधना की… तपस्या की पर जब मै पानी में डूब कर मर रहा था तब तुम मुझे बचाने नहीं आये, ऐसा क्यों प्रभु ?

भगवान बोले , हे साधु महात्मा मै तुम्हारी रक्षा करने एक नहीं बल्कि तीन बार आया , पहला, ग्रामीणों के रूप में , दूसरा नाव वाले के रूप में , और तीसरा ,हेलीकाप्टर बचाव दल के रूप में. किन्तु तुम मेरे इन अवसरों को पहचान नहीं पाए |”

मित्रों, इस जीवन में ईश्वर हमें कई अवसर देता है , इन अवसरों की प्रकृति कुछ ऐसी होती है कि वे किसी की प्रतीक्षा नहीं करते है , वे एक दौड़ते हुआ घोड़े के सामान होते हैं जो हमारे सामने से तेजी से गुजरते हैं , यदि हम उन्हें पहचान कर उनका लाभ उठा लेते है तो वे हमें हमारी मंजिल तक पंहुचा देते है, अन्यथा हमें बाद में पछताना ही पड़ता है 
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Himmat Mat Haro – हिम्मत मत हारो













एक दिन एक किसान का गधा कुएँ में गिर गया ।वह गधा घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं। अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि गधा काफी बूढा हो चूका था,अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था;और इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ।
किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया। सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी। जैसे ही गधे कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है ,वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा । और फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया।
सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे। तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया। अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह गधा एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था। वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था।
जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एस सीढी ऊपर चढ़ आता । जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह गधा कुएँ के किनारे पर पहुंच गया और फिर कूदकर बाहर भाग गया।
ध्यान रखो ,तुम्हारे जीवन में भी तुम पर बहुत तरह कि मिट्टी फेंकी जायेगी ,बहुत तरह कि गंदगी तुम पर गिरेगी। जैसे कि ,तुम्हे आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई बेकार में ही तुम्हारी आलोचना करेगा ,कोई तुम्हारी सफलता से ईर्ष्या के कारण तुम्हे बेकार में ही भला बुरा कहेगा । कोई तुमसे आगे निकलने के लिए ऐसे रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो तुम्हारे आदर्शों के विरुद्ध होंगे। ऐसे में तुम्हे हतोत्साहित होकर कुएँ में ही नहीं पड़े रहना है बल्कि साहस के साथ हिल-हिल कर हर तरह कि गंदगी को गिरा देना है और उससे सीख लेकर,उसे सीढ़ी बनाकर,बिना अपने आदर्शों का त्याग किये अपने कदमों को आगे बढ़ाते जाना है।
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परमात्मा और किसान  Motivational Hindi Story
परमात्मा और किसान

परमात्मा और किसान  

एक बार एक  किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया ! कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जाये! हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल थोड़ी ख़राब हो जाये! एक  दिन बड़ा तंग आ कर उसने परमात्मा से कहा ,देखिये प्रभु,आप परमात्मा हैं , लेकिन लगता है आपको खेती बाड़ी की ज्यादा जानकारी नहीं है ,एक प्रार्थना है कि एक साल मुझे मौका दीजिये , जैसा मै चाहू वैसा मौसम हो,फिर आप देखना मै कैसे अन्न के भण्डार भर दूंगा! परमात्मा मुस्कुराये और कहा ठीक है, जैसा तुम कहोगे वैसा ही मौसम  दूंगा, मै दखल नहीं करूँगा!
किसान ने गेहूं की फ़सल बोई ,जब धूप  चाही ,तब धूप  मिली, जब पानी तब पानी ! तेज धूप, ओले,बाढ़ ,आंधी तो उसने आने ही नहीं दी, समय के साथ फसल बढ़ी और किसान की ख़ुशी भी,क्योंकि ऐसी फसल तो आज तक नहीं हुई  थी !  किसान ने मन ही मन सोचा अब पता चलेगा परमात्मा को, की फ़सल कैसे करते हैं ,बेकार ही इतने बरस हम किसानो को परेशान करते रहे.
फ़सल काटने का समय भी आया ,किसान बड़े गर्व से फ़सल काटने गया, लेकिन जैसे ही फसल काटने लगा ,एकदम से छाती पर हाथ रख कर बैठ गया!  गेहूं की एक भी बाली के अन्दर गेहूं नहीं था ,सारी बालियाँ अन्दर से खाली थी,  बड़ा दुखी होकर उसने परमात्मा से कहा ,प्रभु  ये  क्या हुआ ?
तब परमात्मा बोले,” ये तो होना ही था  ,तुमने पौधों  को संघर्ष का ज़रा  सा  भी मौका नहीं दिया . ना तेज  धूप में उनको तपने दिया , ना आंधी ओलों से जूझने दिया ,उनको  किसी प्रकार की चुनौती  का अहसास जरा भी नहीं होने दिया , इसीलिए सब पौधे खोखले रह गए, जब आंधी आती है, तेज बारिश होती है ओले गिरते हैं तब पोधा अपने बल से ही खड़ा रहता है, वो अपना अस्तित्व बचाने का संघर्ष करता है और इस संघर्ष से जो बल पैदा होता है वोही उसे शक्ति देता है ,उर्जा देता है, उसकी जीवटता को उभारता है.सोने को भी कुंदन बनने के लिए आग में तपने , हथौड़ी  से पिटने,गलने जैसी चुनोतियो से गुजरना पड़ता है तभी उसकी स्वर्णिम आभा उभरती है,उसे अनमोल बनाती है !”
उसी तरह जिंदगी में भी अगर संघर्ष ना हो ,चुनौती  ना हो तो आदमी खोखला  ही रह जाता है, उसके अन्दर कोई गुण नहीं आ पाता ! ये चुनोतियाँ  ही हैं जो आदमी रूपी तलवार को धार देती हैं ,उसे सशक्त और प्रखर बनाती हैं, अगर प्रतिभाशाली बनना है तो चुनोतियाँ  तो स्वीकार करनी ही पड़ेंगी, अन्यथा हम खोखले ही रह जायेंगे.  अगर जिंदगी में प्रखर बनना है,प्रतिभाशाली बनना है ,तो संघर्ष और चुनोतियो का सामना तो करना ही पड़ेगा !
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Struggle is for good
Struggle prepares your for flight!

तितली का संघर्ष 

एक बार एक आदमी को अपने garden में टहलते हुए किसी टहनी से लटकता हुआ एक तितली का कोकून दिखाई पड़ा. अब हर रोज़ वो आदमी उसे देखने लगा , और एक दिन उसने notice किया कि उस कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया है. उस दिन वो वहीँ बैठ गया और घंटो उसे देखता रहा. उसने देखा की तितली उस खोल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही है , पर बहुत देर तक प्रयास करने के बाद भी वो उस छेद से नहीं निकल पायी , और फिर वो बिलकुल शांत हो गयी मानो उसने हार मान ली हो.
इसलिए उस आदमी ने निश्चय किया कि वो उस तितली की मदद करेगा. उसने एक कैंची उठायी और कोकून की opening को इतना बड़ा कर दिया की वो तितली आसानी से बाहर निकल सके. और यही हुआ, तितली बिना किसी और संघर्ष के आसानी से बाहर निकल आई, पर उसका शरीर सूजा हुआ था,और पंख सूखे हुए थे.
वो आदमी तितली को ये सोच कर देखता रहा कि वो किसी भी वक़्त अपने पंख फैला कर उड़ने लगेगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. इसके उलट बेचारी तितली कभी उड़ ही नहीं पाई और उसे अपनी बाकी की ज़िन्दगी इधर-उधर घिसटते हुए बीतानी पड़ी.
वो आदमी अपनी दया और जल्दबाजी में ये नहीं समझ पाया की दरअसल कोकून से निकलने की प्रक्रिया को प्रकृति ने इतना कठिन इसलिए बनाया है ताकि ऐसा करने से तितली के शरीर में मौजूद तरल उसके पंखों में पहुच सके और  वो छेद से बाहर निकलते ही उड़ सके.
वास्तव में कभी-कभी हमारे जीवन में संघर्ष ही वो चीज होती जिसकी हमें सचमुच आवश्यकता होती है. यदि हम बिना किसी struggle के सब कुछ पाने लगे तो हम भी एक अपंग के सामान हो जायेंगे. बिना परिश्रम और संघर्ष के हम कभी उतने मजबूत नहीं बन सकते जितना हमारी क्षमता है. इसलिए जीवन में आने वाले कठिन पलों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखिये वो आपको कुछ ऐसा सीखा जायंगे जो आपकी ज़िन्दगी की उड़ान को possible बना पायेंगे.
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धक्का

Motivational Hindi Story
                                                                                      धक्का किसने दिया !!
एक बार की बात है , किसी शहर में एक बहुत अमीर आदमी रहता था. उसे एक अजीब शौक था , वो अपने घर के अन्दर बने एक बड़े से स्विमिंग पूल में बड़े-बड़े रेप्टाइल्स पाले हुए था  ; जिसमे एक से बढ़कर एक सांप, मगरमच्छ ,घड़ियाल ,आदि शामिल थे  .
एक बार वो अपने घर पर एक पार्टी देता है .बहुत से लोग उस पार्टी में आते हैं.
खाने-पीने के बाद वो सभी मेहमानों को स्विमिंग पूल के पास ले जाता है और कहता है -
” दोस्तों, आप इस पूल को देख रहे हैं, इसमें एक से एक खतरनाक जीव हैं , अगर आपमें से कोई इसे तैर कर पार कर ले तो मैं उसे १ करोड़ रुपये या अपनी बेटी का हाथ दूंगा…”
सभी लोग पूल की तरफ देखते हैं पर किसी की भी हिम्मत नहीं होती है कि उसे पार करे….लेकिन तभी छपाक से आवाज होती है और एक लड़का उसमे कूद जाता है ,और मगरमच्छों , साँपों, इत्यादि से बचता हुआ पूल पार कर जाता है.
सभी लोग उसकी इस बहादुरी को देख हैरत में पड़ जाते हैं. अमीर आदमी को भी यकीन नहीं होता है कि कोई ऐसा कर सकता है ; इतने सालों में किसी ने पूल पार करना तो दूर उसका पानी छूने तक की हिम्मत नहीं की !
वो उस लड़के को बुलाता है , ” लड़के , आज तुमने बहुत ही हिम्मत का काम किया है , तुम सच- मुच बहादुर हो बताओ तुम कौन सा इनाम चाहते हो।
” अरे , इनाम-विनाम तो मैं लेता रहूँगा , पहले ये बताओ कि मुझे धक्का किसने दिया था….!” , लड़का बोला.
मित्रों ये एक छोटा सा जोक था। पर इसमें एक बहुत बड़ा सन्देश छुपा हुआ है – उस लड़के में तैर कर स्विमिंग पूल पार करने की काबीलियत तो थी पर वो अपने आप नहीं कूदा , जब किसी ने धक्का दिया तो वो कूद गया और पार भी कर गया . अगर कोई उसे धक्का नहीं देता तो वो कभी न कूदने की सोचता और न पूल पार कर पाता , पर अब उसकी ज़िन्दगी हमेशा के लिए बदल चुकी थी …ऐसे ही हमारे अन्दर कई टैलेंट छुपे होते हैं जब तक हमारे अन्दर कॉन्फिडेंस और रिस्क उठाने की हिम्मत नहीं होती तब तक हम लाइफ के ऐसे कई चैलेंजेज में कूदे बगैर ही हार मान लेते हैं , हमें चाहिए कि हम अपनी काबीलियत पर विश्वास करें और ज़िन्दगी में मिले अवसरों का लाभ उठाएं।
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9 comments:

  1. bhaut acha very very thanks , jine ki rahe longo tak pauchate rahe. best of luck

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  2. bhaut acha very very thanks , jine ki rahe longo tak pauchate rahe. best of luck

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  3. Sir you r a great man of thinking. I am a lad like your son, I want to do something great in my life but i have not any idea for any business. Sir please guide me about any small capital business for the beginning of my path of life.

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